Tally Prime Introduction | टैली प्राइम का परिचय | Tally Prime Notes in Hindi

Tally Prime Introduction | टैली प्राइम का परिचय | Tally Prime Notes in Hindi

 Tally Prime Introduction 

किसी भी बिज़नस में आवश्यक लाभ प्राप्त करने के लिए और बिज़नस को ठीक तरीके से चलाने के लिए ज़रूरी है कि होने वाले हर लेन-देन का हिसाब या एंट्री को लिखा जाए जिसके आधार पर आगे चलकर बिज़नस ग्रोथ में मदद मिल सके | अब इस लेनदेन का हिसाब के लिए आप एंट्री रजिस्टर पर करेंगे या फिर कंप्यूटर पर, यदि आप रजिस्टर पर एंट्री करते है तो इसे मेन्यूल एकाउंटिंग कहा जायेगा जबकि कंप्यूटर पर की जाने वाली एंट्री को हम कंप्यूटर एकाउंटिंग कहेंगे | 


टैली प्राइम क्या है?

टैली प्राइम एक एकाउंटिंग सॉफ्टवेर है, जिसकी मदद से कंप्यूटर पर एकाउंटिंग की जाती है | एकाउंटिंग का अर्थ, बिज़नस में होने वाली सभी एंट्री का हिसाब लिखा जाये और बाद में उसके आधार पर रिपोर्ट और टैक्स कैलकुलेशन की जा सके | 

 यदि बिज़नस में हिसाब न रखा जाये तो मालिक को इस बात का सही से पता नही चल पता की बिज़नस में किस दिन या महीने या साल ज्यादा प्रॉफिट हुआ और कब घाटा हुआ | जिसके कारण बिज़नस में आवशयक लाभ नही मिल पता और बिज़नस में सही ग्रोथ होने के चांसेस कम हो जाते है | इसी से बचने के लिए बिज़नस में एकाउंटिंग काफी ज्यादा ज़रूरी है |

टैली प्राइम 9 Nov 2020 को रिलीज़ किया गया | इसे पहले Tally Erp9 में एकाउंटिंग की जा रही है | 

अर्थात एकाउंटिंग दो प्रकार की होती है-

 

  1. मेन्यूल एकाउंटिंग (Manual Accounting)

  2. कंप्यूटर एकाउंटिंग (Computer Accounting)

 

मैन्युल  एंट्री करना मतलब  हाथो से एंट्री करना रजिस्टर पर जबकि कंप्यूटर एकाउंटिंग का अर्थ एकाउंटिंग या एंट्री करना कंप्यूटर परमैन्युल  एकाउंटिंग जहाँ हम घंटो या दिनों मे करते थे वही कंप्यूटर एकाउंटिंग हम बिना किसी गलती के मिनटों में कर सकते है I

कंप्यूटर पर एंट्री (या एकाउंटिंग )  करने के लिए हमे एक एकाउंटिंग सॉफ्टवेर की ज़रुरत होती है और टैली उसी तरह का एक एकाउंटिंग सॉफ्टवेर है, टैली एकाउंटिंग सॉफ्टवेर की खास बात ये है की इस पर एकाउंटिंग बड़ी आसानी से की जा सकती है और ये भारत और बहार के कई  देशो में सबसे ज्यादा लोकप्रिय एकाउंटिंग सॉफ्टवेर है !
टैली एकाउंटिंग सॉफ्टवेर के अलावा और भी एकाउंटिंग सॉफ्टवेर है जेसे  TALLY, MARG, QUICK  BOOKS, M-PROFIT, BUSY, etc

 

टैली प्राइम का परिचय 



इस ब्लॉग पर आपको टैली प्राइम के सभी नोट्स उपलब्ध कराए जा रहे है | टैली परिचय के बाद आप को टैली के सम्बधित कुछ शब्दवाली भी है जो आपको पता होना चाहिए | इसके बाद हम टैली प्राइम डाउनलोड और इनस्टॉल करना सिखंगे | इसके बाद टैली की प्रक्टिकल क्लास स्टार्ट की जाएँगी |

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टैली एकाउंटिंग में उपयोग होने वाले शब्द कुछ इस प्रकार है -

Terminology of accounting in Hindi(1)
लेखानाकं की  पारिभाषिक शब्दावली:-

·              Trade (व्यापार )                    

·              Profession (पेशा )

·              Business (व्यवसाय)

·              Owner (मालिक)

·              Capital(पूंजी)

·              Drawing (आहरण)

·              Purchase (माल खरीदना )

·              Sales (माल बेचना )

·              Purchase Return (क्रय वापसी  )

·              Sales Return (विक्रय वापसी  )

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Terminology of accounting in Hindi (2)
लेखानाकं की  पारिभाषिक शब्दावली:-

1)     Trade लाभ कमाने के उद्देश से किया गया वस्तुओ का क्रय विक्रय व्यापार कहलाता है अर्थात किसी से 1000/- रूपए में माल ख़रीदा और उसे 1200/- रूपय में बेचा तो यह २०० रूपए का लाभ लिया गया इसे ट्रेड करना बोला जायेगा I

2) Profession - ऐसा कोई वैधानिक कार्य जिसे करने से पूर्व अभ्यास की आवश्यकता हो और जिस कार्य से आय अर्जित हो पेशा कहलता है अर्थात जेसे अगर कोई गाना गाता है तो गाना गाना उसका शोक है,लेकिन अगर वह गाने गाकर पेसे कमाता है तो वह उसका प्रोफेशन या पेशा कहलायेगा I 

3) Business - बिज़नस एक ब्यापक शब्द है जिसमे Trade और Profession दोनों आते है अर्थात किसी  जगह पर जहा खरीदी बिक्री के साथ प्रोफेशनल लोग भी  कम पर लगे होते है बिज़नस कहलाता है | 

4) Ownerमालिक वह होता हैजो बिज़नस मेंपैसा लगता हैऔर बिज़नस का संचालन करता है ,मालिक कहलाता है| मालिकतीन तरह केहोते है -

एकाकी व्यापारी(Proprietor) ,साझेदार (Partners) ,शेयरहोल्डर (Share Holders)  

i)   एकाकी व्यापारी या Proprietorवह होता है जो अकेले बिज़नस में पेसे लगता है लाभ एवं हानि का स्वं जिम्मेदार होता है एकाकी व्यपारी कहलाता है |

 ii) साझेदार या Partners : जब दो या दो से ज्यादा लोग बिज़नस में पैसा लगते है और बिज़नस के लाभ और हानि के उत्तरदायी होते है पार्टनर्स कहलाते है किसी  बिज़नस में २० तक साझेदार हो सकते है |

iii) अंशधारी या Shareholder: किसी बिज़नस में जब २० से ज्यादा लोग हिस्सेदार हो तब वह अंशधारी कहलाते है अर्थात अंश्भर के मालिक होते है|

5)     Capital पूंजी : मालिक जो पैसा बिज़नस में लगता है उसे पूंजी बोला जाता है यह पूंजी  केश या  सम्पति के रूप  में हो सकती है|

6)     Drawing या आहरण :-  मालिक अपने निजी  खर्चो  केलिए  व्यापार  से जब पेसे  निकलता है तो उसे मालिक के निजी खर्चे या आहरण बोला जाता है |अर्थात किसी व्यापरी के कपड़ो की दुकान है दिवाली आने पर उसने कपड़े आपने ही दुकान से ले लिए तो इसे हम  आहरण करना बोलेंगे अपनी की कैपिटल से पेसे या सामान लेना drawing   कहलाता है |

7)     Purchase : Purchase का अर्थ माल खरीदना जो माल बेचने के लिए ख़रीदा  जाए उसे हम    Purchase  कहेते है | ;याद रहे टैली में भवन खरीदना , फर्नीचर खरीदना Purchase करना नही कहलाता है , Purchase का अर्थ केवल स्टॉक या माल खरीदना जिसे बेचा जायेगा 

8)     Sales : बिज़नस द्वारा जब कोई माल बेचा जाये उसे हम सेल्स या माल बेचना बोलेंगे और टोटल सेल्स को टर्नओवर कहा जाता है |

9)     Purchase Return : जब हम कोई माल किसी से ख़रीदे और किन्ही कारणों से माल  में कोई खराबी या गलत माल आने पर उस माल को बापस करनाक्रय- वापसी या purchase Return कहालायेगा|

 10)  Sales Return : जब कोई माल बेचा जाये और बेचे गये माल में कुझ खराबी मिलने पर या गलत माल जाने पर आप उस माल को वापस लेंगे तो या विक्रय वापसी या सेल्स  return  कहलायेगा|

 

Terminology of Accounting in Hindi (Accounting Words)  

Stock(रहतिया )

Creditors(लेनदार ) 

Debtors(देनदार ) 

Asset(सम्पति)

Fixed Assets(स्थायी सम्पति)

Current Assets  (अस्थायी सम्पति )

 Liabilities  (दायित्व )

Fixed Liabilities or long term Liabilities (स्थयी)

Current Liabilities or Sort term Liabilities( अस्थायी)

 Income(आय)

Direct Income (प्रतक्ष्य आय ) 

Indirect Income(अप्र्ताक्ष्य आय )

Expenses (खर्चे )

Direct Expenses (प्रतक्ष्य व्यय )

Indirect Expenses(अप्रतक्ष्य व्यय )

Revenue (राजस्व )

 

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Stock :- हमारे पास वर्त्तमान में जो भी मॉल रखा होता है वह हमारा स्टॉक कहलाता है साल के अंत में जो मॉल बिना विके रहा जाता है उसे उस साल का अंतिम रहतिया closing stock कहा जाता है और साल के पहले दिन वही मॉल प्रारम्भिक रहतिया opening stock कहलाता है|

Creditors : वह व्यक्ति या संस्था जो किसी दूसरे व्यक्ति या संस्था को उधार मॉल या सेवाए बेचती है या रुपया उधार देती है लेनदार या creditors कहलाते है |संझेप  में उधार  माल बेचने  वाला क्रेडिटर  कहलाता है | उदहारण के लिए विनय ने अशोक को  5000/- रू. का माल बेचा, तो यहा विनय क्रेडिटर कहलायेगा |

Debtors :  वह व्यक्ति या संस्था जो किसी दूसरे व्यक्ति या संस्था से उधार मॉल या सेवाए खरीदता  है या रुपया उधार लेता  है देंनदार या Debtors  कहलाते है | संझेप  में उधार  माल खरीदने वाला डेबिटर   कहलाता है | उदहारण के लिए रवि ने संजय को  5000/- रूपए का माल बेचा, तो यहा संजय  Debtors  कहलायेगा | क्यंकि संजय ने माल ख़रीदा |

Liabilities स्वामी के धन के अतिरिक्त बिज़नेस का वित्तीय दायित्व(कर्जे) लाइबिलिटी कहलाता है। वह, धन जो व्यावसायिक अंतर्गत दूसरों को देना है, दायित्व कहा जाता है ,इस प्रकार दायित्व एक ऋण हैं, ये सभी राशियाँ हैं, जो लेनदारों को भविष्य में देय हैं। उदाहरण- क्रेडिटर, बैंक लोन, कार लोन आदि..

 

Long term Liabilities (Fixed Liabilities)

वे दायित्व या वो कर्जे है जो बिज़नस को, किसी को एक साल बाद चुकाना होता है 

Sort term Liabilities(Current Liabilities ) 
वे दायित्व है जो बिज़नस को एक साल के अंदर चुकाना होता है| जेसे लेनदार 

Income : 
आय Revenue (कुल जो पैसा आया) में से व्यय घटाने पर जो शेष बचता है, उसे आय (Income) कहा जाता है। व्यावसायिक गतिविधियों अथवा अन्य गतिविधियों से किसी संगठन के निवेश मूल्य में होने वाली वृद्धि इनकम होती है। इनकम एक व्यापक शब्द है जिसमें लाभ भी शामिल होता है।

आय = आगम व्यय 
Income= (Revenue - Expenses)

Direct Income : वह आय जो मुख्य व्यापर से आये उसे हम Direct Income कहते है |उदहारण के लिए अगर किसी की कपड़ो की दुकान है तो उसकी डायरेक्ट  इनकम कपडे बेचकर मिले वाली इनकम होगी 
 Indirect Income :
मुख्य व्यवसाय के आलावा अगर कही से भी पैसे आये उसे हम indirect   income कहते है | उदाहरण के लिए आपके कपड़ो की दुकान है और आप के पास कुझ जगह ज्यादा है तो आपने आधी जगह किराये पर दे दी तो अब इसे आने वाला पैसा या लाभ INDIRECT इनकम है

Expenses (व्यय) : Expenses का अर्थ है खर्चो से जो, दैनिक, साप्ताहित और महीने आदि में होते है |प्रयोग की गई वस्तुओं एवं सेवाओं की लागत को व्यय कहते हैं। ये वे लागते होती है जिन्हें किसी व्यवसाय से आय अर्जित करने की प्रकिया में व्यय किया जाता है। सामान्यत: एक्सपेसेंज को किसी अकाउंटिंग अवधि के दौरान असेट्स के उपभोग अथवा प्रयुक्त की गई सेवाओं की लागत से मापा जाता है।

उदाहरण :-विज्ञापन व्यय, कमीशन, ह्रास, किराया, वेतन, मूल्यहास, किराया, मजदूरी, वेतन, व्याज टेलीफोन इत्यादि 
Direct Expenses: किसी माल के उताप्दन से लेकर उसे विक्रय योगय स्थिति में लाने तक जो भी खर्च्र होते है उने Direct Expenses कहा जाता है | उदारण फक्ट्री बिल ,मजदूरी ,फैक्ट्री किराया , (wages), सामन लाने का किराया आदि 

Indirect Expenses :
कार्यलय से सम्धित सभी खर्चे Indirect Expenses कहलाते है जेसे ऑफिस का किराया  ,लाइट का बिल आदि |

Revenue आय): समस्त स्त्रोतों से आया पैसा रेवेनुए कहलाता है| यह व्यवसाय में कस्टमर्स को अपने उत्पादों की बिक्री से अथवा सेवाएँ उपलब्ध कराए जाने से अर्जित की गई राशियाँ होती हैं। इन्हें सेल्स रेवेन्यूज कहा जाता है। कहीं व्यवसायों के लिए रेवेन्यूज के अन्य आइटम्स एवं सामान्य स्त्रोत बिक्री, शुल्क, कमीशन, व्याज, लाभांश, राॅयल्टीज,प्राप्त किया जाने वाला किराया इत्यादि होते हैं। 

GOLDEN RULES OF ACCOUNTING

1.           व्यक्तिगत खाते (Personal Account)- व्यक्ति एवं संस्था से सम्बंधित खाते को व्यक्तिगत खाते कहते है । जैसे मोहन का खाता, शंकर वस्त्रालय का खाते व्यक्तिगत खाते हुआ ।

व्यक्तिगत खाते का नियम (Rule of Personal Account)

पाने वाले को नाम (Debit The Receiver)

देने वाले को जमा (Credit The Giver)

पाने वाले को डेबिट करें तथा देने वाले को क्रेडिट करें

Debit the Receiver and Credit the Giver

 

स्पष्टीकरण : जो व्यक्ति कुछ प्राप्त करते हैं उन्हें Receiver कहा जाता है और उन्हें Debit में रखा जाता है । जो व्यक्ति कुछ देते है, उन्हें Giver कहा जाता है और उन्हें Credit में रखा जाता है।

उदाहरण : चिराग को 1000 रुपया दिया गया, चिराग 1000 रुपया ले रहा है वह Receiver हुआ इसलिए उन्हें Debit में रखा जायेगा। सोहन से 1000 रुपया प्राप्त हुआ । सोहन 1000 रुपया देय रहा है वह Giver हुआ । इसलिए उन्हें Credit किया जायेगा ।

 

2.            वास्तविक खाते (Real Account) - वस्तु एवं सम्पति से संबंधित खाते को वास्तविक खाते कहतें है । जैसे  भवन, रोकड़ का लेखा, साईकिल का खाते वास्तविक लेखा हुआ ।

वास्तविक लेखा का नियम (Rule of Real Account)

जो आये उसे नाम (Debit what comes in )

जो जाये उसे जमा (Credit What goes out)

जो वस्तु व्यापार में आये उसे डेबिट करें तथा जो वस्तु व्यापार से जाएँ उसे क्रेडिट करें

Debit whats come in and credit what goes out

 

स्पष्टीकरण : व्यवसाय में जो वस्तुएँ आती है उसे Debit में रखा जाता है और व्यवसाय से जो वस्तुएँ जाती है उसे Credit में रखा जाता है ।

उदाहरण : सोना से 1000 रु. प्राप्त हुआ। एक 1000 रुपया आ रही है इसलिए उसे Debit में रखा जाता है ।

मोना को कार बेचीं गयी । कार जा रही है इसलिए उसे Credit में रखा जायेगा ।

 

3.           नाममात्र खाते (Nominal Account)- खर्च एवं आमदनी से सम्बन्धित खाते को नाममात्र खाते कहा जाता है । जैसे सैलरी, रेंट, किराया का खाता, ब्याज का खाता नाममात्र खाता हुआ ।

नाममात्र खाते का नियम (Rule of Nominal Account)

सभी खर्च एवं हानियों को नाम (Debit all expenses and losses)

सभी आमदनी एवं लाभों को जमा (Credit all incomes and gains)

व्यय एवं हानियों को डेबिट करें तथा आय एवं लाभों को क्रेडिट करें

Debit all expenses and losses and credit all income and gains

 

स्पष्टीकरण : व्यवसाय में होने वाले खर्चो को डेबिट करें और होने वाले लाभ, आय को क्रेडिट करें

 

 

 

Personal Account

व्यक्तिगत खाते

Real Account

वास्तविक खाते

Nominal Account

नाममात्र खाते

Capital

Building A/c

Purchase a/c

Ram

Furniture A/c

Sales A/c

Mohan

Cash A/c

Discount a/c

Aasha Traders

Stock

Rent

Etc.

Etc.

Etc.


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